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उत्तराखंड: बेटे के लिए विधायकी कुर्बान करेगा कांग्रेस का ये बड़ा नेता, BJP में होंगे शामिल!


उत्तराखंड: बेटे के लिए विधायकी कुर्बान करेगा कांग्रेस का ये बड़ा नेता, BJP में होंगे शामिल!





                           
                       

देहरादून: कांग्रेस में बदलाव के बाद उठा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस की नई टीम को उनके अपने ही संभलने का मौका नहीं दे रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष पद पर करण माहरा और नेता प्रतिपक्ष पद पर यशपाल आर्य के नाम का ऐलान होने के बाद से ही कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस के 10 विधायक नाराज बताए जा रहे थे। हालांकि, कांग्रेस का दावा है कि केवल चार विधायक हैं, जो नाराज हैं। लेकिन, अब पिछले कुछ दिनों से नजर आ रही नाराजगी बड़ा रंग दिखा सकती है।

कांग्रेस में ऐसा तूफान उठने वाला है, जिससे कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका लग सकता है। राजनीति सूत्रों की मानें तो कांग्रेस का एक बड़ा नेता भाजपा आलाकमान के संपर्क में हैं। कांग्रेस में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे एक और पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की राह पर चलकर भाजपा का दामन थाम सकते हैं।

सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो रही है कि एक पूर्व अध्यक्ष कांग्रेस में खुद को बहुत ज्यादा उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में उन्होंने मन बना लिया है कि वो अब कांग्रेस को अलविदा कह देंगे। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के कार्यक्रमों से उनकी मौजूदगी भी नदारद रही। कहा जा रहा है कि भाजपा और उनके बीच बातचीत अंतिम दौर में है। किसी भी दिन उनके कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने का ऐलान हो सकता है।

उनको अपने बेटे को सियासी मैदान में उतारना है और उसके लिए वो अपनी विधायकी तक कुर्बान करने को तैयार हैं। इस बात की भी चर्चाएं हैं कि वो 2024 में खुद के लिए लोकसभा सीट की तलाश में भी हैं। हालांकि, उसी सीट से वो एक बार चुनाव भी हार चुके हैं। रणनीति केवल इतनीभर नहीं है।

अपनी सीट से इस्तीफा देने के बाद वो उसी सीट से अपने बेटे को उपचुनाव में मैदान में उतारकर विधानसभा पहुंचाने का पूरा प्लान तैयार कर चुके हैं। कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल होने के बाद अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ा रहे हैं। कुछ नेताओं को जब अपना वजूद ही खोता नजर आया तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और आज वो अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ा रहे हैं।

हालांकि, जानकारों का मानना है कि ये कांग्रेस के लिए बड़ा फायदा भी साबित हो सकता है। दरअसल, बड़े चेहरे के खुद ही पार्टी से किनारा करने के बाद गुटबाजी का एक खेमा पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। इस तरह कांग्रेस में गुटबाजी खुद की खत्म हो जाएगी।

हरीश रावत उम्र के कारण अब उस पड़ाव पर पहुंच चुके हैं, जहां से उनके लिए कोई गुटबाजी करना वैसे भी संभव नहीं रहा है। उनके सबसे करीब हरीश धामी पहले ही ऐलान कर चुके हैं 2027 में वो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस को अब इन पांच सालों में खुद को अगले चुनाव के लिए मजबूती से तैयार करना होगा।

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