उत्तराखण्ड

योग दिवस पर सीएम धामी ने अल्मोड़ा से दिया बड़ा संदेश.. आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बनेगा जागेश्वर धाम

देहरादून/ अल्मोड़ा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जागेश्वर धाम पहुंचकर प्रदेश में योग के ज़रिए धार्मिक पर्यटन को विकसित करते हुए नए विजन को दर्शाया है। सीएम धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विकास के नव रत्नों में शामिल किए गए तीसरे रत्न मानसखंड क्षेत्र को इस बार इस आयोजन के लिए चुना है।

योग, ध्यान, अध्यात्म का केंद्र बनेगा जागेश्वर धाम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विशेष पहल पर इस बार योग महोत्सव का आयोजन सुदूरवर्ती अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम में किया गया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि मानस मंदिर माला मिशन के जरिए सरकार कुमाऊं के प्राचीन मंदिरों में विभिन्न सुविधाओं को विकसित कर रही है। इस योजना की शुरुआत जागेश्वर धाम से की जा रही है, जागेश्वर धाम को योग ध्यान एवं आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बनाया जाएगा।

ये हैं योग के पांच संयोजन

मुख्यमंत्री धामी ने जागेश्वर धाम से योग के पांच संयोजन का भी जिक्र करते हुए कहा कि योग ज्ञान रूपी धरोहर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि योग शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का संयोजन है। उन्होंने प्रदेशवासियों से उत्तराखण्ड को हर स्तर पर उत्कृष्ट बनाने के लिए प्रतिदिन एक घंटा योग करने का संकल्प लेने का अह्वान किया। सीएम धामी ने कहा कि प्रतिदिन योग करें, सूरज उगने से पहले जगना होगा और खुद को बदलना होगा, जिससे दवाओं पर आने वाला व्यय भी कम होगा।

सनातन संस्कृति का मूल आधार “वसुधैव कुटुम्बकम’’

मुख्यमंत्री धामी ने सनातन संस्कृति का उल्लेख करते हुये कहा कि हमारी गौरवशाली सनातन संस्कृति का मूल आधार ’’वसुधैव कुटुम्बकम’’ है और यही हमारे देश की 140 करोड़ जनता का मूल संस्कार भी है, जो सम्पूर्ण विश्व को एक परिवार का रूप मानता है। इसी सिद्धांत को केंद्र में रखते हुए इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम ’’वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग’’ तय की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनेकों वैश्विक चुनौतियों और षड्यंत्रों का सामना करने के बावजूद भारत ने कभी भी मानवीय मूल्यों से हटकर आचरण नहीं किया और हमारी इस लोक कल्याणकारी अवधारणा का आधार हमारी संस्कृति है, जिसके मुख्य स्तंभों में से एक योग भी है। इसी वजह से योग आज दुनिया के करोड़ों लोगों की दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया है जो विश्व को भारतीय संस्कृति के साथ और अधिक प्रगाढ़ता से जोड़ने का काम कर रहा है।

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