Tuesday, December 23, 2025
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क्या आपको पता है, आज इंटरनेशनल पुरुष दिवस है और इसे क्यों मनातें हैं?

समाज के विकास के लिए महिला और पुरुष दोनों की अहमियत और योगदान होता है। दुनियाभर में भले ही महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम किया जा रहा है लेकिन पुरुषों की भलाई और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी अहम है। पुरुषों के मानसिक विकास, उनके सकारात्मक गुणों की सराहना और लैंगिग समानता के उद्देश्य से प्रतिवर्ष दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है।

पुरुष परिवार, समाज और राष्ट्र का ऐसा स्तम्भ है, जिसके बिना सब कुछ अधूरा है। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के मौके पर लड़कों और पुरुषों को संघ, समाज, समुदाय, राष्ट्र, परिवार, विवाह और बच्चों की देखभाल में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। साथ ही पुरुषों के मुद्दों पर बुनियादी जागरूकता को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास के लिए इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई।

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समाज में आज भी यह माना जाता है कि पुरुष प्रधान समाज है। कई मायनों में है भी लेकिर, पुरुष परिवार की रीढ़ होते हैं। महिलाओं को समानता का अधिकार है। अपवाद दोनों तरफ हैं। कई मामलों में पुरुषों को भी प्रताड़ता का सामना करना पड़ता है। तमाम परेशानियों और प्रताड़नाओं के बाद भी पुरुष परिवार को बिखरने से बचाने का हर संभव प्रयास करता रहता है। लेकिन, जब भी परिवार बिखरता है, उसके लिए ना होते हुए भी पुरुष को ही जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। इस पर चिंतन करने की जरूरत है।

दुनियाभर के करीब 60 से अधिक देश अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाते हैं। प्रतिवर्ष 19 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है। पुरुष दिवस के मौके पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। 1999 में त्रिनिदाद और टोबैगो में वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर डॉ. जेरोम तिलक सिंह ने अपने पिता के जन्मदिन को 19 नवंबर के दिन मनाया। उन्होंने पुरुषों के मुद्दों को उठाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया। इसके बाद से 19 नवंबर 2007 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया।

प्रतिवर्ष पुरुष दिवस की एक थीम निर्धारित होती है, जिसके आधार पर इस दिन को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस 2022 की थीम श्पुरुषों और लड़कों की मदद करना है। इस थीम का उद्देश्य विश्व स्तर पर मर्दों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए कार्य करना है।अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की मांग पहली बार साल 1923 में हुई थी।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की तर्ज पर 23 फरवरी को पुरुष दिवस मनाने की मांग उठाई गई। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और माल्टा के संगठनों को पुरुष दिवस मनाने के लिए आमंत्रित किया गया। ओस्टर ने दो साल तक इन कार्यक्रमों की मेजबानी की। हालांकि 1995 तक बहुत कम संगठन इन आयोजनों का हिस्सा बने। परिणामस्वरूप कार्यक्रम का आयोजन बंद कर दिया गया।

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