उत्तराखण्ड

उपचुनाव में सीएम धामी के खिलाफ कांग्रेस ने गहतोड़ी को बनाया प्रत्याशी, जानिए कौन हैं गहतोड़ी जिनपर कांग्रेस ने खेला दांव..

देहरादून: चंपावत विधानसभा सीट के उपचुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपना प्रत्‍याशी घोषित कर दिया है. कांग्रेस ने बीजेपी प्रत्याशी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ निर्मला गहतोड़ी को मैदान में उतारा है. उपचुनाव में प्रत्याशी बनाई गईं निर्मला गहतोड़ी मुख्य चुनाव में भी दावेदार थीं. निर्मला गहतोड़ी कांग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष हैं. वो इस उपचुनाव में सीधे सीएम पुष्कर सिंह धामी को टक्कर देंगी.

उपचुनाव को लेकर चंपावत विधानसभा सीट पर मतदान आगामी 31 मई को होंगे. मतगणना तीन जून को होगी. चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री 09 मई को नामांकन दाखिल करेंगे. उप चुनाव के लिए भाजपा ने प्रत्याशी के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम की पहले औपचारिक घोषणा कर दी थी.

गौर हो कि, चुनाव हारने के बाद सीएम धामी को बेशक एक बार फिर राज्य की कमान मिल गई है लेकिन उनके लिए उपचुनाव किसी परीक्षा से कम नहीं है. सीएम बने रहने के लिए उनका उपचुनाव को जीतना जरूरी है. धामी के लिए चंपावत से जीते कैलाश गहतोड़ी ने अपनी सीट छोड़ दी थी.

कांग्रेस ने 2002 और 2012 में चम्‍पावत सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि तीन बार हार झेली. 2002 में हुए पहले चुनाव से 2022 तक के सभी चुनावों में कांग्रेस ने हेमेश खर्कवाल को ही प्रत्याशी बनाया. अब कांग्रेस ने पहली बार इस सीट से किसी महिला प्रत्याशी को उतारा है. चंपावत विधानसभा सीट पर 2002, 2017 और 2022 में बीजेपी को जीत मिली थी.

कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी का जन्म चंपावत के लोहाघाट नामक एक छोटे से कस्बे में हुआ था. शिक्षक पिता की संतान गहतोड़ी 6 बच्चों में चौथी संतान हैं. इंटर तक पढ़ाई के बाद उनकी शादी भी एक शिक्षक के साथ हुई. उनकी राजनीति की शुरुआत गांव की निर्विरोध ग्राम प्रधान निर्वाचित होने से हुई. इस बीच प्रधानी का काम करते हुए निर्मला राजनीति के रास्ते में बढ़ गईं. उन्होंने जनता के कई मुद्दे उठाए, उत्तराखंड आंदोलन और शराब विरोधी आंदोलन में भी हिस्सा लिया. हालांकि, जिला पंचायत चुनाव में उन्हें हार मिली. इस बीच कांग्रेस पार्टी की सदस्य भी बनीं और फिर कांग्रेस की जिला अध्यक्ष बनाई गईं, 10 साल तक उन्होंने ये जिम्मेदारी संभाली. पहली बार कोई महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष बनी थी. फिर एआईसीसी की सदस्य रहीं.

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