उत्तराखंड

उत्तराखंड : हथिनी की बच्ची का नाम रखा खुशी, पंडित जी ने पढ़े मंत्र, दी गई दावत


उत्तराखंड : हथिनी की बच्ची का नाम रखा खुशी, पंडित जी ने पढ़े मंत्र, दी गई दावत





                           
                       

रामनगर: अपने बच्चों के नामकरण का जश्न तो सभी मनाते हैं। दावत भी देते हैं, लेकिन किसी जानवर के बच्चे के नामकरण पर भोज रखा जाए, तो लोगों को सुनने में थोड़ा हैरानी भी होती है और अजीब भी लगता है। लेकिन, कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ रेंज में माहौल कुछ अलग ही था। यहां सुबह से ही भोज की तैयारी चल रही थी। मिठाई मंगवाई गई थी। नामकरण के लिए जो-जो जरूरी था। सभी तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई थी। इस आयोजन में कर्मचारी ही मेहमान था और मेजबानी भी उन्होंने ने ही की। कुछ स्थानीय लोगों को भी दावत में बुलाया गया था।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में गंगा हथिनी 22 दिन पहले मां बनी। जन्म हुआ एक नन्हीं और प्यारी शिशु हथिनी का। मां और बच्ची को को रंगोली लगाकर और फूलों की माला पहनाकर सजाया गया। आज यानी 14 मई शनिवार को गंगा हथिनी के 22 दिन के शिशु का नामकरण संस्कार किया गया। बाकायदा विधि-विधान और मंत्रोच्चार के बाद नाम खुशी रखा गया। नामकरण के बाद भोज का आयोजन भी किया गया। मिठाइयां भी बांटी गई।

कर्नाटक से लाई गई गंगा हथिनी ने 23 अप्रैल को एक शिशु को जन्म दिया था। समय नहीं होने की वजह से विभाग ने 22 दिन में शनिवार को शिशु का नामकरण किया। पंडित ने पूजा अर्चना कराई। पूजा में सीटीआर निदेशक नरेश कुमार, कालागढ़ वन प्रभाग के डीएफओ प्रकाश आर्य, रेंजर राकेश भट्ट के साथ ही स्थानीय लोग और वन कर्मी भी शामिल रहे।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के प्रभारी निदेशक नरेश कुमार ने बताया कि नए शिशु का नाम सभी की सहमति से खुशी रखा गया। उसके जन्म के बाद से लोगों को बहुत खुशी थी। DFO पीसी आर्य ने कहा कि इंसानों के साथ ही वन्य जीवों का भी उतना ही महत्व है। ऐसे आयोजन से वन्य जीवों के संरक्षण व सुरक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता आएगी।

गंगा हथिनी अपनी मां कपिला के साथ जून 2017 कर्नाटक से आई थी। तब गंगा हथिनी की उम्र महज दो साल थी। हाथी कैंप में रहकर गंगा गर्भवती हो गई। सात साल की उम्र में ही 23 अप्रैल को उसने मादा शिशु को जन्म दिया। कार्बेट के कालागढ़ वन प्रभाग के DFO पीसी आर्य ने बताया कि मादा शिशु खुशी कैंप में अपनी मां गंगा व नानी कपिला के साथ रह रही है। कालागढ़ में कपिला, गंगा व खुशी तीन पीढ़ी हो गई है।

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