कालजयी पुरुष बाबा मोहन उत्तराखंडी को यूकेडी ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य प्राप्ति आंदोलन और स्थायी राजधानी गैरसैण (gairsain) के लिए सबसे ज्यादा अनशन व आखिरी सांस तक संघर्षशील कालजयी बाबा मोहन उत्तराखंडी (Baba Mohan Uttarakhandi) की 18 वीं पुण्यतिथि पर उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी।
Baba Mohan Uttarakhandi : कई आंदोलन के लिए किये अनशन
श्रद्धांजलि देते हुए सुनील ध्यानी ने कहा कि, बाबा मोहन उत्तराखंडी (Baba Mohan Uttarakhandi) का जन्मदिन पौडी गढ़वाल के बठोली गांव में मनवर सिंह नेगी के मझले संतान के रूप में हुआ। इंटरमिडिएट पास करने के बाद आईआईटी की व भारतीय सेना के बंगाल इंजिनियरिंग में भर्ती हुए। सन 1994 रामपुर तिराहा घटना के पश्चात् उत्तराखंडी जी ने कभी भी बाल व दाढ़ी न काटने का संकल्प लिया। सन 11-01-1997 में देविधार लेंसडाउन पौडी गढ़वाल में उन्होंने राज्य के लिए अनशन किया। उसके पश्चात् लगातार राज्य में सतपुली, गुमखाल, नंदाठोक, गैरसैण, थराली से लेकर पौडी बचाओ आंदोलन के लिए अनशन किये।
आखिरी बार बेनीताल में 2 अगस्त 2004 को गैरसैण राजधानी के लिए अनशन किया। 8 अगस्त मध्य रात्रि को हालत ख़राब होने पर 9 अगस्त 2004 हॉस्पिटल ले जाते बाबा मोहन ने आखिरी सांस ली। उनके संघर्ष को हमेशा याद किया जायेगा।
यह भी रिकॉर्ड हैं कि पृथक उत्तराखंड राज्य ओर गैरसैण राजधानी के लिए 13 बार अनशन संघर्षो का इतिहास इस कालजयी पुरुष के नाम हैं।
श्रद्धांजलि सभा में लताफत हुसैन, सुनील ध्यानी, जय प्रकाश उपाध्याय, दीपक गैरोला, दीपक रावत, बिजेंद्र रावत, राजेंद्र गुसाईं आदि मौजूद रहे।