उत्तराखण्ड

UKSSSC ने आज जारी किया बड़ा अपडेट, पहले नकल मामले से बरी अभ्यर्थियों को लेकर लिया था ज्वाइनिंग का निर्णय

UKSSSC Recruitment 2022: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने आज सोमवार को बड़ा अपडेट जारी किया है। बेरोजगारों के बढ़ते विरोध के बीच आयोग ने भर्ती परीक्षा के नकल मामले में फंसे अभ्यर्थियों पर यू-टर्न लेते हुए उनके अभिलेख सत्यापन को स्थगित कर दिया है। इसको लेकर आयोग के सचिव सुरेंद्र सिंह रावत ने अधिसूचना जारी की है।

UKSSSC ने नकल मामले में फंसे अभ्यर्थियों को अभिलेख सत्यापन के लिए बुलाया था

बता दें कि, इससे पहले उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने बहुचर्चित फॉरेस्ट गार्ड भर्ती नकल मामले में फंसे 9 अभ्यर्थियों को अभिलेख सत्यापन के लिए बुलाया था। 9 नवंबर 2022 को जारी विज्ञप्ति में आयोग ने इन अभ्यर्थियों के अभिलेख सत्यापन के लिए 15 नवंबर 2022 की तिथि निर्धारित की थी। इसको लेकर आयोग ने तर्क दिया कि, न्याय विभाग ने स्पष्ट किया कि, इसमें अब कानूनी रूप से सरकार का पक्ष काफी कमजोर है। केस हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार पार्टी बनी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। ऐसे में अब नियुक्ति देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

#UKSSSC ने नकल मामले से बरी अभ्यर्थियों के अभिलेख सत्यापन को किया स्थगित। इससे पहले 15 नवंबर को बुलाया था, बेरोजगारों ने किया था विरोध। pic.twitter.com/8tVDNGw1a0

— BharatJan भारतजन (@bharat_jan) November 14, 2022

 

UKSSSC के फैसले का बेरोजगार संघ ने किया विरोध

वहीं उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के इस फैसले का बेरोजगारों ने विरोध किया। इसको लेकर उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार ने आयोग को पत्र लिखा। बेरोजगार संघ का कहना है कि, वर्तमान में एसटीएफ को जांच के लिए भेजी गई पांच भर्तियों में यह वन आरक्षी भर्ती की जांच भी शामिल है। ऐसे में जांच प्रक्रिया के दौरान आयोग द्वारा कोई भी अग्रिम कार्यवाही करना नियम विरुद्ध है। बेरोजगार संघ ने बताया कि, जिन अभ्यर्थियों को अभिलेख सत्यापन के लिए बुलाया है, उनके द्वारा परीक्षा में अनुचित साधनों के उपयोग की पुष्टि तत्कालीन हरिद्वार एसएसपी ने अपनी आख्या में की है।

बेरोजगार संघ ने UKSSSC से की कोर्ट में पुरजोर पैरवी की अपील

उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने आयोग से अपील की है कि, वह मामले को लेकर उच्च न्यायालय की उच्च बेंच या सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस गंभीर प्रकरण को पुरजोर पैरवी के साथ रखें और शासन को तत्काल प्रकरण की गंभीरता से अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि, इस प्रकार की कार्यशैली से न सिर्फ आयोग की छवि धूमिल होगी बल्कि, लाखों अभ्यर्थी आक्रोशित भी हो रहे हैं।

क्या है मामला ?

दरअसल, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने वर्ष 2018 में फॉरेस्ट गार्ड के 1268 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया, जिसकी लिखित परीक्षा 16 फरवरी 2020 को आयोजित की गई। लिखित परीक्षा में ब्लूटूथ के जरिए नकल करने का मामला सामने आने पर पौड़ी और मंगलौर में मुकदमा दर्ज कराया गया। हरिद्वार पुलिस ने मामले में एसआईटी गठित करते हुए 11 लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि 47 चयनित अभ्यर्थियों को नकल करने वालों के रूप में चिन्हित किया। मुकदमे में सरकार या आयोग को पार्टी नहीं बनाया गया। बाद में वादी और आरोपियों के बीच समझौता हो गया, जिससे अदालत से केस खारिज हो गया। इसके चलते सभी आरोपी कुछ ही माह में जेल से छूट गए। इस तरह F.I.R. और गिरफ्तारी के बावजूद नकल के आरोपित कानूनी तौर पर प्रमाणित नहीं हो पाए।

लिखित परीक्षा में नकल में फंसे 09 अभ्यर्थी फाइनल मेरिट में हुए शामिल

वहीं लिखित परीक्षा नकल मामले में इन 47 आरोपियों में से 9 अभ्यर्थी शारीरिक परीक्षा के बाद अंतिम मेरिट लिस्ट में भी शामिल होने में कामयाब रहे थे। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने नकल के आरोप के चलते इन अभ्यर्थियों के अलावा बाकी अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी थी। इस बीच अपने खिलाफ केस लंबित नहीं होने का तर्क देते हुए इन अभ्यर्थियों ने वर्तमान में आयोग से नियुक्ति की मांग की। जिस पर आयोग ने कार्मिक विभाग से परामर्श मांगा। शासन ने इस प्रकरण में कोर्ट के आदेशों को देखते हुए उक्त 9 अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ाने को हरी झंडी दी। जिसके चलते इनके अभिलेख सत्यापन के बाद इन्हें नियुक्ति की सिफारिश आयोग द्वारा की जाएगी। हालांकि इस बीच बेरोजगारों के विरोध को देखते हुए फिलहाल आयोग ने अभिलेख सत्यापन की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!