उत्तराखण्ड

VIDEO उत्तराखंड: ‘बहुत बड़े हॉस्पिटल में गया.. बहुत रोया-गिड़गिड़ाया, पर उन्होंने बेड नहीं दिया और मेरे बच्चे ने दम तोड़ दिया’

ऋषिकेश: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के चलते बच्चों से लेकर महिलाओं, बुजुर्गों की मौत के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से तो समय पर इलाज के अभाव में लगातार कहीं नवजात तो कहीं महिला की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। मंगलवार को जहां उपचार न मिलने से उत्तरकाशी की महिला और उसके गर्भस्थ शिशु की मौत हुई तो इसके अगले दिन ही बुधवार को रुड़की के एक नवजात ने समय पर उपचार न मिलने से दम तोड़ दिया।

“..सुना था एम्स बड़ा हॉस्पिटल है, अच्छे डॉक्टर हैं, सारी सुविधाएं हैं। लेकिन ये सब बेकार की बातें है। मैं वहां बहुत गिड़गिड़ाया, लेकिन मेरे 12 दिन के बच्चे के लिए वहां एक बेड तक नहीं मिला। उन्होंने कुछ नहीं किया और मेरा बच्चा हमेशा के लिए मुझसे छिन गया।”

ये शब्द उस पिता के हैं जिसके 12 दिन के बच्चे ने AIIMS में बेड नहीं मिलने के कारण दम तोड़ दिया। बच्चा गंभीर संक्रमण से पीड़ित था। रुड़की के ढंढेरा फाटक निवासी भूपेंद्र गुसाईं चिकित्सकों की सलाह पर अपने बच्चे को उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश लाया। चिकित्सकों के अनुसार नवजात लेट ऑनसेट नियोनेटल सेप्सिस (अनियंत्रित और गंभीर संक्रमण) से पीड़ित था। एम्स इमरजेंसी में तैनात चिकित्सकों ने बच्चे को देखा और उसे नीकू वार्ड में भर्ती कराने की आवश्यकता बताई। कुछ देर बाद उन्हें बताया गया कि नीकू वार्ड में बेड ही उपलब्ध नहीं है।

भूपेंद्र का आरोप है कि उन्होंने और उनकी पत्नी नीलू ने करीब सवा घंटे तक चिकित्सकों की मिन्नतें कीं, लेकिन बच्चे को भर्ती नहीं किया गया। वो डॉक्टरों के आगे हाथ जोड़कर विनती करते रहे, बिलखते रहे, मगर डॉक्टरों ने उनके बच्चे को बचाने के लिए कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया। मजबूरी में वो अपने बच्चे को लेकर एक प्राइवेट अस्पताल की ओर दौड़े। रात करीब नौ बजे वह नवजात को लेकर जौलीग्रांट अस्पताल के लिए रवाना हुए, लेकिन अस्पताल पहुंचने तक नवजात दम तोड़ चुका था।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!