उत्तराखण्ड

सीरी ग्रामसभा में किया गया ‘बनो में रामलीला’ गढ़वाली नाटक का मंचन, दिया ये खास संदेश..

चमोली जिले में कर्णप्रयाग ब्लॉक के ग्राम सभा सीरी में ‘बनो में रामलीला’ गढ़वाली नाटक का आयोजन किया गया. सीरी गांव में पहुंची नाट्य टीम का ग्राम प्रधान, महिला मंगल दल समेत समस्त ग्रामीणों ने पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया. ‘स्वयंभू सोशल फाउंडेशन’ द्वारा नाट्य चेतना के सहयोग से आयोजित इस नाटक के माध्यम से पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि जैसे पर्यावरण मित्रों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया और वनाग्नी को लेकर जागरुकता का संदेश दिया गया.

इस नाटक में एक ऐसी गांव की कहानी को दर्शाया गया, जहां जंगल में आग लग जाने के कारण कई दुर्घटनाएं घटने लगती हैं. इस कहानी में पहाड़ी गांव की कई समस्याओं, जैसे गांव के पुरुष सदस्यों का पलायन, घास के लिए चीड़ की सुई को साफ करने के लिए आग लगाने का पारंपरिक तरीका, जंगल की आग बुझाते समय लोगों की मौत और अन्य पारिवारिक और सामाजिक मुद्दों पर आधारित भावनात्मक अनुक्रमों को उजागर किया गया. नाटक दर्शकों को जंगल की आग के बारे में गंभीर होने और उसके वैकल्पिक समाधान की तलाश करने के लिए बाध्य करने के साथ-साथ सरकार के वन विभाग के साथ संबंध जोड़ने के लिए भी उकसाती है.

ओडिशा राज्य स्थित नाट्य चेतना के निर्देशक सुबोध पटनायक थियेटर की भूमिका को एक तरह का मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन मानते हैं, जो तीक्ष्ण प्रदर्शन द्वारा दिलो-दिमाग को अत्यधिक प्रभावित कर सकती है. यह नाटक नाट्य चेतना थियेटर मॉडल से प्रेरित रहा, जो 1986 में स्थापना के बाद से ही सामाजिक शिक्षा और जागरूकता निर्माण के लिए अपनी कला के लिए देश – विदेशों में जानी जाती है.

नाटक का गढ़वाली अनुवाद गिरीश नौटियाल और गानों के बोल विक्रम रावत ने तैयार किए. इसमें उत्तराखंड के विभिन्न जिलों समेत ओडिशा के कलाकार भी शामिल रहे. अंत में ग्रामीणों ने इस गढ़वाली नाटक की जमकर सराहना की. इस दौरान कैंप डायरेक्टर रिटायर्ड आईएएस पी. के. मोहन्ती भी मौजूद रहे.

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