उत्तराखंड

उत्तराखंड: मंडरा रहा बड़ा खतरा, डैम में दरारों से पानी का रिसाव, रिपोर्ट में खुलासा!

नैनीताल: कम ही लोग जानते होंगे कि नैनाताल जिले में बना एक डैम अपनी उम्र पूरी कर चुका है। जैसे-जैसे इसकी उम्र बढ़ती जा रही है, ये कमजोर होता जा रहा है। डैम की कमजोरी हल्द्वानी समेत तराई के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। केंद्रीय स्तर पर गठित डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल (DSRP) की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है। कमेटी ने सिंचाई विभाग को डैम का सेसमिक रफ्रिेक्शन टोमोग्राफी (SRT) टेस्ट करवाने के निर्देश दिए हैं। रिपोर्ट के बाद विभाग मरम्मत की बात कर रहा है। नैनीताल जिले के भीमताल डैम से बड़े पैमाने पर पानी का रिसाव हो रहा है। डैम में दरारें भी पड़ रही हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बांध की सुरक्षा के लिए हर चार से पांच साल में डीएसआरपी डैम का निरीक्षण करता है। इसी के तहत छह सदस्यों ने बीते साल दिसंबर में भीमताल डैम का निरीक्षण किया था। हालिया रिपोर्ट में पता चला है कि डैम से काफी मात्रा में पानी का रिसाव हो रहा है। इसलिए मरम्मत की जरूरत है।

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SRT जांच कराने को कहारू पैनल ने डैम की फाउंडेशन की स्टडी और पानी के रिसाव की जानकारी के लिए SRTजांच करवाने के निर्देश सिंचाई विभाग को दिए हैं। इससे साफ हो पाएगा कि झील से रोजाना कितना पानी रिस रहा है। डैम के कमजोर हो रहे हिस्सों की भी जानकारी मिल सकेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर डैम की मरम्मत का प्रस्ताव भेजा जाएगा।

भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत के अनुसार भीमताल डैम करीब डेढ़ सौ साल का होने जा रहा है। ऐसे में यदि बड़ा भूकंप या कोई आपदा आई तो इस बात को लेकर आशंका है कि यह डैम उसे झेल पाएगा या नहीं? ऐसे में हल्द्वानी के साथ ही तराई के बड़े इलाके के लिए खतरा बढ़ जाता है।

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भीमताल डैम का निर्माण अंग्रेजी शासनकाल में 1880 में हुआ था। अंग्रेजों ने इसकी उम्र सौ साल तय की थी, जो सालों पहले पूरी हो चुकी है। उड़द की दाल व चूने के साथ पत्थरों को जोड़कर डैम बना था। इंग्लैंड की महारानी क्वीन विक्टोरिया के नाम पर इसका नाम विक्टोरिया भीमताल डैम रखा गया।

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