उत्तराखंड

बड़ी खबर: देश में पहली बार जारी होगा 175 रुपये का सिक्का, उत्तराखंड से है खास कनेक्शन


बड़ी खबर: देश में पहली बार जारी होगा 175 रुपये का सिक्का, उत्तराखंड से है खास कनेक्शन





                           
                       

एक्सक्लूसिव

  • केंद्र सरकार 175 रुपये का सिक्का जारी करने जा रही है।

  • आईआईटी रुड़की पूरे कर रहा स्थाना के 175 साल।

रुड़की: केंद्र सरकार 175 रुपये का सिक्का जारी करने जा रही है। इस सिक्के का उत्तराखंड से खास संबंध है। रुड़की विश्वविद्यालय, जो अब IIT रुड़की है। IIT की स्थापना के 175 साल पूरे होने पर यह सिक्का जारी किया जाएगा। इसका वजन 35 ग्राम होगा। सक्के में 50 प्रतिशत चांदी, 40 प्रतिशत तांबा और पांच-पांच प्रतिशत निकल व जस्ता का मिश्रण होगा।

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IIT रुड़की के 175 वर्ष समारोह कमेटी के चेयरपर्सन अरुण कुमार ने बताया कि 44 मिलीमीटर गोलाई के इस सिक्के के मुख्य भाग पर आइआइटी रुड़की के मुख्य प्रशासनिक भवन जेम्स थामसन इमारत का फोटो होगा। इस फोटो के नीचे मध्य भाग में 175 वर्ष लिखा होगा। इसकी ऊपरी परिधि में हिंदी और निचली परिधि पर अंग्रेजी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान लिखा होगा। वहीं, जेम्स थामसन इमारत के नीचे एक ओर 1847 और दूसरी ओर 2022 लिखा होगा।

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इसके अलावा सिक्के के दूसरी तरफ अशोक स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते और रुपये के चिह्न के साथ 175 लिखा होगा। साथ ही, एक ओर हिंदी में भारत व दूसरी तरफ अंग्रेजी में इंडिया लिखा होगा। सिक्के की अनुमानित कीमत चार हजार रुपये के आसपास होगी। आइआइटी के निदेशक प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि 175 रुपये का सिक्का जारी होना आइआइटी रुड़की के लिए बड़ी उपलब्धि है। कालेज रुड़की में यह कार्यक्रम कब होगा, यह अभी तय नहीं हुआ है। सिक्के के दूसरी तरफ अशोक स्तंभ के निचले हिस्से पर सत्यमेव जयते और ओम के चिन्ह के साथ 175 लिखा होगा। रुपये और भारत दाएं और बाएं हिंदी और अंग्रेजी में लिखा जाएगा।

वजन 35 ग्राम
50% चांदी
40% तांबा
5 प्रतिशत निकल
5 प्रतिशत जिंक
44 मिमी गोल

भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान (IIT) रुडकी ने देश को जनशक्ति और ज्ञान उपलब्ध कराने व अनुसंधान कार्य करने में प्रमुख भूमिका अदा की है। यह संस्थान विश्व के सर्वाेत्तम प्रोद्यौगिकी संस्थानों में अपना स्थान रखता है। इसने प्रोद्यौगिकी विकास के सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। विज्ञान, प्रोद्यौगिकी व इंजीनियरिंग शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र मे इसे धारा निर्धारक (ट्रैंड सेटर) भी माना जाता है। वस्तुकला एवं इंजीनियरिंग के 10 विषयों में स्नातक पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। स्नातकोत्तर, प्रयुक्त विज्ञान व वस्तुकला तथा नियोजन विष्यों के 55 पाठ्यक्रमांे की सुविधा उपलब्ध है। संस्थान के सभी विभागों व अनुसंधान केन्द्रों में शोधकार्य की भी सुविधाएं है।

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