उत्तराखंड

उत्तराखंड: बेड ना मिलने से 12 दिन के बच्चे की मौत का मामला सुर्खियां बना तो एम्स ने दी सफाई, सुनिए क्या बोले..

ऋषिकेश: उत्तराखंड के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान ऋषिकेश AIIMS में बेड नहीं मिलने के कारण बुधवार को 12 दिन के बच्चे ने दम तोड़ दिया। बच्चे की मौत के बाद पिता ने सोशल मीडिया पर एक अपनी वीडियो जारी कर सरकार से इंसाफ मांगा है। वहीं बच्चे की मौत का मामला जैसे ही मीडिया में सुर्खिया बना तो एम्स प्रशासन ने भी इस मामले पर अपनी सफाई दी।

बीते रोज एक 12 दिन के नवजात शिशु को अन्यत्र ले जाने के प्रकरण पर एम्स अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि, उस दिन बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट में रखकर अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती किया गया था। लेकिन बच्चे को तत्काल आईसीयू बेड की आवश्यकता थी और उस समय बच्चों के वार्ड में आईसीयू बेड खाली नहीं था। इसलिए नवजात बच्चे को अन्यत्र ले जाने को कहा गया।

एम्स अस्पताल के ’न्यूनेटल इन्टेन्सिव केयर यूनिट’ ( नीकू ) में आईसीयू बेड की स्थिति के बारे में एम्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि, पीडियाट्रिक वार्ड के न्यूनेटल इन्टेन्सिव केयर यूनिट में आईसीयू बेड बहुत ही सीमित हैं। कई बार ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि आईसीयू बेड खाली नहीं होने से बच्चे का तत्काल इलाज करना मुश्किल हो जाता है।

उन्होंने बताया कि बीते 1 अगस्त की सांय 12 दिन के एक बच्चे को लेकर उसके परिजन एम्स इमरजेंसी में पहुंचे थे। उस दौरान इमरजेंसी में मौजूद चिकित्सकों ने बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट में रखकर उसका तत्काल प्राथमिक उपचार शुरू किया, लेकिन बच्चे को सामान्य बेड के बजाए पीडियाट्रिक वार्ड इन्सेन्टिव केयर यूनिट में आईसीयू बेड की आवश्यकता थी। चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि उस समय पीडियाट्रिक वार्ड की इस यूनिट में पहले से ही गंभीर स्थिति वाले कई बच्चे एडमिट थे और कोई भी आईसीयू बेड खाली नहीं था, इसलिए तत्कालिक स्थिति को देखते हुए बच्चे के परिजनों को उपचार हेतु उसे अन्यत्र अस्पताल ले जाना पड़ा।

प्रोफेसर मित्तल ने यह भी बताया कि अस्पताल की इमरजेंसी में प्रत्येक मरीज को देखा जाता है और उसे तत्काल प्राथमिक उपचार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि गंभीर स्थिति के मरीजों के लिए संबंधित वार्ड में वेन्टिलेटर बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद ही भर्ती करने की प्रक्रिया अमल में लाई जाती है।

चिकित्सा अधीक्षक ने जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा एम्स को 200 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की कार्रवाई गतिमान है। भूमि मिलते ही अस्पताल की सुविधाओं में इजाफा होना स्वभाविक है, जिससे इस प्रकार की समस्याओं का स्वतः ही निराकरण हो जाएगा।

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