विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर “पीएम विश्वकर्मा योजना” का शुभारम्भ, योजना से गुरु शिष्य परंपरा को मिलेगा बढ़ावा: कपिल मोरेश्वर पाटिल
देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 सितंबर, 2023 को द्वारका, नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर में विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर “पीएम विश्वकर्मा योजना” का शुभारम्भ किया गया। इस योजना के तहत पारम्परिक कारीगरों और शिल्पकारों के बीच व्यापक जागरूकता फैलाने के लिए यह कार्यक्रम देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 70 स्थानों पर आयोजित किया गया था। इसी कड़ी में आज हिमालयन कम्युनिटी सेंटर, गढ़ी कैंट, देहरादून में भी एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां योजना के लोकार्पण का सीधा प्रसारण लगभग 800 कारीगरों, एमएसएमई, गैर सरकारी संगठनों, एसएचजी द्वारा सजीव देखा गया। इस अवसर पर कपिल मोरेश्वर पाटिल, केंद्रीय राज्य मंत्री, पंचायती राज, भारत सरकार बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए।
कार्यक्रम में सभा को संबोधित करते हुए बीजेपी के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि उद्योग के औद्योगीकरण के कारण पारम्परिक कारीगर और शिल्पकार पिछड़ गए थे लेकिन विश्वकर्मा योजना अब ऐसे कारीगरों के जीवन को बदल देगी।
अपने सम्बोधन में मंत्री पाटिल ने प्रधानमंत्री के प्रयास का स्वागत किया और कहा कि यह योजना निश्चित रूप से कारीगरों के कौशल को विकसित करने में मदद करेगी ताकि वे अपने उत्पादन का अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकें और अपने शिल्प कौशल को जीवित रख सकें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से निचले तबके के लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाना इस योजना का उद्देशय है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से कारीगरी का काम करने वाले श्रमिकों को कमाई का बेहतर साधन उपलब्ध कराया जाएगा , जिससे उनकी आर्थिक स्तिथि में भी सुधर होगा। इसके अलावा, 18 चिन्हित क्षेत्रों में पारंपरिक काम करने वाले श्रमिकों और कारीगरों को उनके उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। श्री पाटिल ने कहा की इस योजना से गुरु शिष्य परंपरा को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस कार्यक्रम में उत्तराखंड सरकार के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल प्रदेश, गणेश जोशी कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्री, माला राज्य लक्ष्मी शाह लोकसभा सांसद, विधायक खजान दास, विधायक सविता कपूर, भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी और केंद्रीय लोनिवि के कई अधिकारी मौजूद रहे।