उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में गुंडाराज, पुलिस पर सरेराह फायर…

हरिद्वार: उत्तराखंड में कानून व्यवस्था ध्वस्त नजर आ रही है। एक के बाद बड़ी-बड़ी घटनाएं सामने आ रही हैं। गुंडाराज जैसे हालात हो गए हैं। बदमाशों के हौसले इतने बुलंद हैं कि गुंडे अब पुलिस पर भी फायर झोंकने में कोई गुरेज नहीं किया।

लक्सर में बदमाशों ने सरेबाजार पुलिसकर्मियों पर गोली चला दी। गोली लगने से एक कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गया, जबकि दूसरे को छर्रे लगे। वारदात को अंजाम देकर बदमाश ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए फरार हो गए।

नगर के अतिव्यस्त हरिद्वार मार्ग पर हुई घटना के बाद हडकंप मच गया। आनन फानन में पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। गंभीर रूप से घायल पुलिसकर्मी को प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। पुलिस बदमाशों की तलाश में जुटी है।

रविवार की देर शाम को चेतक पर तैनात कांस्टेबल राजेंद्र चौहान व सतेंद्र नेगी नगर के हरिद्वार मार्ग पर गश्त पर थे। इस दौरान नगर में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के इरादे से अलग अलग दो बाइक पर पहुंचे पांच बदमाश यहां घूम रहे थे।

संदिग्ध व्यक्तियों के देख यहां पहले से मौजूद कांस्टेबल पंचम को संदेह हुआ। बदमाश जब नगर में फ्लाईओवर की ओर बढ़ रहे थे तो पंचम ने चेतक पर तैनात पुलिसकर्मियों को उन्हें पकड़ने का इशारा किया और उनकी और बढ़ने लगे।

हाल के दिनों में अंकिता हत्याकांड के बाद जिस तरह से कुछ पुराने मामले सामने आए हैं। उससे एक बात तो साफ है कि रेगुलर पुलिस ने कई बड़े मामलों को ना केवल ठंडे बस्ते में डाल दिया। बल्कि, हत्या के मामले को बदलकर आत्महत्या करार देकर FR लगा दी, जिसे कोर्ट ने मानने से इंकार कर दिया।

कनून व्यवस्था पटरी से उतरी नजर आ रही है। सरकार भले ही लाख दावे करे लेकिन, राज्य में कानून व्यवस्था में सुधार नजर नहीं आ रहा है। अंकिता भंडारी केस के कारण पुलिस का छिपाया हुआ केदार भंडारी हत्याकांड सामने आया साथ साथ ही ममता बहुगुणा की गुमशुदगी को आत्महत्या दिखाना सामने आया जिसमें स्थानीय विधायक के दबाव की बात सामने आई।

इस केस में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को अदालत ने मानने से इंकार कर दिया। अब रुद्रप्रयाग से मनोज पंवार के महीने भर से ऊपर गायब होने की सूचना के साथ पिंकी को इंसाफ दिलवाने की आवाज जनता उठा रही है।

इसी बीच मोदी के मंत्री सौरभ बहुगुणा की हत्या की साजिश का पर्दाफाश हुआ जिसने बताया कि अपराधियों को पुलिस का कोई खौफ नहीं है। ठाकुरद्वारा में यूपी पुलिस ने इनकाउंटर के नाम पर ज्येष्ठ उप प्रमुख की घरवाली के सीने में गोली मार दी।

घायल पुलिस वाले काशीपुर अस्पताल सीसे भाग गए। यूपी पुलिस ने ज्येष्ठ उप प्रमुख के नाम यूपी में एफआईआर दर्ज कर दी। डीआईजी कुमाऊं ने बयान दिया कि बिना सूचित किए यूपी पुलिस उत्तराखण्ड नहीं आ सकती तो आईजी लॉ एंड ऑर्डर ने बोला कि आ सकती है।

रुद्रपुर में ही एक और व्यवसाई की पंजाब से आए भाड़े के हत्यारों ने हत्या कर दी। रही सही कसर वित मंत्री के भाई के घर हुई चोरी ने पूरी कर दी।

अल्मोड़ा में प्रेमनाथ जैसे शक्तिशाली व्यक्ति को दुराचार के आरोपी होने पर मात्र इसलिए पकड़ा जा सका कि जनता वैसे ही प्रदेश में हो रही घटनाओं पर उद्वेलित थी और सोशल मीडिया में आई इस खबर ने कि दुराचारी के खिलाफ प्रशासन कार्यवाही नहीं कर रहा है आग में घी का काम किया साथ ही यह पता चला कि प्रेमनाथ ने प्रशासन के साथ हम साथ होकर सरकारी जमीन भी कब्जायी हुई है।

यही हाल हाकम की कब्जायी हुई जमीन का पता चला कि प्रशासन की मिलीभगत से हाकम ने सरकारी राजस्व भूमि तो राजस्व भूमि रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन पर रिसोर्ट बना लिया था और अधिकारियों ने अंध भक्तों की तरह आंखें मुंदी हुई थी ।

इनको तोड़ने के आदेश के बावजूद अधिकारियों ने हाकम को पूरा मौका दिया कि वह रिसोर्ट का एक-एक सामान उठाकर कहीं और शिफ्ट कर दे। उत्तरकाशी में एक लड़की के साथ हुए दुराचार के कारण वह स्कूल नहीं जा पा रही और इस प्रदेश के एक मंत्री द्वारा उत्तरकाशी के जिलाधिकारी और कप्तान को लिखने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। प्रदेश के तमाम इलाकों में इस तरीके के किस्से आम है चाहे कोटद्वार हो और चाहे पिथौरागढ़।

 पुलिस के एक सिपाही के द्वारा हरिद्वार में तैनात कोटद्वार के एक होमगार्ड की पत्नी को मार कर अधमरा कर फेंक दिए जाने की घटना भी ऋषिकेश क्षेत्र में घटी और पुलिस अधिकारी अभी भी मौन है। यानी भ्रष्टाचार अब इतना वृहद रूप ले चुका है कि इसके पहाड़ के बोझ के तले सत्ता दब चुकी है।

ऐसे में पटवारी क्षेत्र में अपराधों के पटवारियों के द्वारा लंबित रखे गए अपराधों पर समीक्षा कर रहे हैं। पुलिस और पटवारी दोनों के द्वारा अपराधियों के लंबित केसों की समीक्षा अवश्य होनी चाहिए।

भ्रष्टाचार की पुष्टि के बावजूद मंत्री पद पर बने रहना बताता है की मोदी सरकार के एजेंडे में कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार किस के पैरों के तले कुचला जा रहा है।

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