Tuesday, November 12, 2024
Latest:
उत्तराखण्ड

युवाओं की उम्मीदों पर खरा उतरा सख्त नकलरोधी कानून, पीसीएस परीक्षा में सफल युवाओं ने जताया सीएम धामी का आभार

देहरादून

सख्त नकल विरोधी कानून राज्य के प्रतिभावान युवाओं की उम्मीदों और आकांक्षाओं पर खरा उतरा है। हाल ही में जारी पीसीएस परीक्षा परिणाम में सफलता के झंडे गाड़ने वाले होनहारों ने देश में सबसे पहले इस कानून को लाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का धन्यवाद प्रकट किया है। सफल अभ्यर्थियों ने कहा कि सख्त नकलरोधी कानून लागू होने से प्रतियोगी परीक्षाओं में न केवल पारदर्शिता आई है बल्कि इस गारंटी को भी पक्का किया है कि इन परीक्षाओं में केवल पात्र और योग्य अभ्यर्थी ही चुनकर आएंगे। अब प्रतिभावान युवाओं को सरकारी सेवा के बेहतर और मनचाहे मौके मिल रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार का सख्त नकलरोधी कानून देश के अनेक राज्यों के लिए ही नजीर नहीं बना है, बल्कि इसके कई प्रावधानों को केंद्र सरकार ने भी अंगीकार किया है। प्रदेश में नकल माफिया प्रतिभावान युवाओं के भविष्य के लिए वर्षों से ग्रहण बना हुआ था। आज नकल माफिया का नेटवर्क ध्वस्त होने से प्रतियोगी परीक्षाएं पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ संपन्न हो रही हैं। होनहार अभ्यर्थी एक नहीं तीन से चार परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं।

हाल ही में जारी पीसीएस परीक्षा परिणाम के माध्यम से 10 डिप्टी कलेक्टर और 10 पुलिस उपाधीक्षक समेत विभिन्न विभागों में कुल 289 अधिकारी प्रदेश को मिले हैं। इनमें 32 उप शिक्षा अधिकारी,
28 खंड विकास अधिकारी, 28 राज्य कर अधिकारी, 20 उद्यान विकास अधिकारी, 19 बाल विकास परियोजना अधिकारी, 18 वित्त अधिकारी, 17 सहायक निदेशक उद्योग, 16 सहायक आयुक्त राज्य कर, 11 जिला सूचना अधिकारी एवं 11 एआरटीओ मुख्य रूप से  शामिल हैं। इससे पूर्व यूकेएसएसएससी परीक्षाओं में तमाम परीक्षार्थियों ने एक से अधिक परीक्षाओं में सफलता पाई है।

तीन साल में 16 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी

राज्य सरकारी विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरने का अभियान जोरों पर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने तीन साल के कार्यकाल में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में करीब 16 हजार से अधिक पदों पर भर्ती का रिकॉर्ड बनाया है। यही नहीं नियुक्ति समय पर देने का कीर्तिमान भी धामी सरकार के नाम है। रोजगार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्राथमिकता में रहा है। निजी क्षेत्र में अधिकाधिक रोजगार के अवसर सृजित करने के साथ ही सरकारी पदों को भरने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है।

80 से अधिक आरोपी सलाखों के पीछे

राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू कर धामी सरकार ने नकल माफिया के नेटवर्क को ध्वस्त किया है। कानून के तहत 80 से अधिक आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया। इसमें बड़े से बड़े अधिकारी और राजनीतिक पहुंच वालों को भी बख्शा नहीं गया है।

कड़ी से कड़ी सजा का है प्रावधान

बता दें कि इस कानून के तहत नकल माफिया को उम्र कैद या फिर 10 साल कैद की सजा का प्रावधान है। प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने वाले नकल माफिया के खिलाफ 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, साथ ही उसकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। एक्ट में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई छात्र भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करते हुए पकड़ा जाता है या फिर नकल के जरिए परीक्षा पास करता है तो उस पर 10 साल का प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

पीसीएस परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों के कोट—-

मैं वर्तमान में अल्मोड़ा में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हूं।मेरा वित्त अधिकारी के पद पर चयन हुआ है। मैं मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करना चाहूंगी, जिनकी पहल पर नकल विरोधी कानून लाया गया। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ी है। अभ्यर्थियों में चयन प्रक्रिया के प्रति विश्वास बढ़ने के साथ ही आगे परिश्रम करने के लिए उनके मनोबल में वृद्धि हुई है।
-आयुषी जोशी, अल्मोड़ा

मेरा चयन डीएसपी के पद पर हुआ है। मैं बीटेक की छात्रा रही हूं। मैं  मुख्यमंत्री जी और उनकी पूरी टीम का धन्यवाद करना चाहूंगी, जो सख्त नकल विरोधी कानून लेकर आए। इस कानून के लागू होने से प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता आई है। परीक्षा की तैयारी में जुटे सभी अभ्यर्थियों को निश्चिंत होकर मेहनत के साथ पढ़ाई में जुट जाना चाहिए।
-दीप्ति कैड़ा, देहरादून

मैं वर्तमान में जिला अल्मोड़ा में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हूं। पीसीएस परीक्षा में मेरा चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है। मैं कहना चाहूंगा कि विगत कुछ समय से जो प्रतियोगी परीक्षाएं हो रही हैं, वह त्वरित और निष्पक्ष रूप से हो रही हैं। और इसमें सबसे अहम रहा है सख्त नकल विरोधी कानून। इस कानून को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार का हृदय से आभार और अभिनन्दन। इस कानून से परीक्षाओं में न केवल पारदर्शिता आई है बल्कि परीक्षा की सुचिता और सरकार की कल्याणकारी मंशा के प्रति अभ्यर्थियों का विश्वास भी मजबूत हुआ है। यही नहीं इस कानून ने इस गारंटी को भी पक्का किया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में केवल पात्र और योग्य अभ्यर्थियों का ही चयन हो, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग का हो या गरीब व अमीर वर्ग का हो।
-अलकेश नौडियाल, अल्मोड़ा

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!