उत्तराखंड

उत्तराखंड विधानसभा सत्र में उठा राशन कार्ड सरेंडर का मुद्दा, मंत्री रेखा आर्या ने दिया जवाब; जानिए पात्रता के मानक..

  • विधानसभा के बजट सत्र में उठा खाद्य विभाग की ‘अपात्र को ना और पात्र को हां’ मुहिम का विषय
  • खाद्य मंत्री रेखा आर्या ने दिए नियम 58 के तहत विपक्ष के सभी सवालों के जवाब
  • राशन कार्डों को निरस्त किये जाने हेतु नही प्रतीत होती किसी आर्थिक सर्वेक्षण की आवश्यकता-खाद्य मंत्री रेखा आर्या
  • अभी तक किये जा चुके हैं प्रदेश में 60,515 राशन कार्ड सरेंडर- रेखा आर्या
  • प्रदेश में नए राशन कार्ड बनाये जाने हेतु नही किये गए कोई नए नियम जारी- रेखा आर्या

देहरादून: आज पंचम विधानसभा के बजट सत्र के दौरान खाद्य मंत्री रेखा आर्या द्वारा चलाई जा रही “अपात्र को ना व पात्र को हां” मुहिम के तहत नियम 58 के तहत चर्चा की गई। नियम 58 के अंतर्गत विपक्षी विधायको द्वारा कई सवालों को विधानसभा के पटल पर उठाया गया ।

मंत्री रेखा आर्या ने विपक्षी विधायकों के सवालों की जानकारी देते हुए बताया कि, विपक्षी विधायकगण जिस विषय को सदन के पटल पर उठा रहे हैं जिसमे यह कहा जा रहा है कि जिस परिवार के सदस्यों की मासिक आय 15 हजार से ज्यादा है, जिनके पास चार पहिया वाहन या जिन परिवारों के पास दो हेक्टेयर सिंचित भूमि है, ऐसे परिवार नए नियमो के तहत अपात्र होंगे, साथ ही इसका आर्थिक सर्वेक्षण कराया जाए।

माननीया मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि नए नियम के आधार पर आम जनता के बीच किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति नही है। “अपात्र को ना व पात्र को हां” अभियान बीते 5 मई को एक अपील के रूप में शुरू की गई थी जिसका पूरे प्रदेश में एक सकारात्मक परिणाम देखने को मिला। यही कारण भी है कि अभी तक पूरे प्रदेश में अंत्योदय अन्न योजना के 5060, प्राथमिक परिवार के 39,733 एवं राज्य खाद्य योजना के 15,330 सहित कुल 60,515 राशन कार्ड अबतक सरेंडर हो चुके हैं।

मंत्री द्वारा बताया गया कि 13 जून 2022 की स्थिति के अनुसार समस्त श्रेणियों में समर्पित किये गए कुल 2 लाख 47 हजार 697 अपात्र लाभार्थियों को योजना से बाहर करते हुए इसके स्थान पर पात्र लाभार्थियों को इस योजना में शामिल किया जाएगा।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत पात्रता के यह हैं मानक

1: ऐसा परिवार जिसका संचालन मुखिया के तौर पर विधवा महिला या अकेली महिला करती हो और परिवार की कुल मासिक आय 15 हजार से कम हो।

2: ऐसा परिवार जिसका संचालन मुखिया के तौर पर असाध्य रोगों (कुष्ठ/एच .आई.बी.) से पीड़ित अथवा विकलांगता /60 वर्ष से अधिक आयु वाला बुजुर्ग व्यक्ति करता हो तथा परिवार की कुल मासिक आय 15 हजार से कम हो।

3: आदिम आदिवासी तथा सीमांत क्षेत्रो में निवासरत आदिवासी परिवार।

4: ऐसा परिवार जिनके पास राजस्व अभिलेखों में दर्ज सिंचित भूमि का कुल क्षेत्रफल 2 हेक्टेयर से कम हो अथवा 1 हेक्टेयर सिंचित भूमि अथवा 2 हेक्टेयर असिंचित से कम हो अथवा कुल क्षेत्रफल 4 हेक्टेयर असिंचित भूमि से कम हो।

5: शहरी क्षेत्रो में झुग्गी-झोपड़ी में उत्तराखंड राज्य की स्थापना के पूर्व से निवासरत परिवार।

6: विधवा आश्रम, बाल -महिला सुधार गृह, भिक्षुक गृह, कुष्ठ आश्रम, अनाथ आश्रम, मानसिक रोग आश्रम विकलांग आश्रम एवम वर्धाश्रम में निवासरत व्यक्ति।

7: राज्य खाद्य योजना के अंतर्गत शासनादेशानुसार पांच लाख वार्षिक आय से कम आय वाले परिवारों को सम्मलित किया गया।

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