उत्तराखंड

उत्तराखंड आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर सौंपा ज्ञापन, की ये मांगें..

देहरादून: उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की जिला कार्यकारिणी देहरादून द्वारा डीएम ऑफिस पहुंचकर अपनी समस्याओं से संबंधित ज्ञापन मायाधर जोशी (अपर नगर मजिस्ट्रेट) के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा गया। उन्होंने कहा कि, संघ ने 13 जून 2022 को निदेशालय में एक दिवसीय सांकेतिक धरने के माध्यम से विभाग को समस्याओं को लेकर अवगत कराया एवं समस्याओं का जल्द समाधान करने का निवेदन किया। लेकिन इतना समय बीतने के पश्चात भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया।

आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने कहा कि, आज एक बार फिर ज्ञापन के माध्यम से अपनी समस्याएं मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है। अगर 15 दिनों के अंदर सरकार एवं विभाग, आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की सुद नहीं लेता है तो मजबूरन प्रदेश भर की समस्त आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां कार्य बहिष्कार कर आंदोलन के लिए बाध्य होंगी। उन्होंने कहा कि, महारैली के माध्यम से अपनी समस्याओं को लेकर मुखर होंगे। उनका आरोप है कि, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत महिलाओं पर कार्य का अधिकतर बोझ देकर मानसिक शोषण किया जा रहा है। उनकी समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं है।

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने अपनी इन समस्याओं से अवगत कराया:

1. आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों से अपने विभाग के अतिरिक्त अन्य विभागों के कार्य भी जबरदस्ती कराए जा रहे हैं। जैसे निर्वाचन में (बीएलओ) का कार्य ऑनलाइन कराया जा रहा है, जिसके लिए ना तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पास स्मार्टफोन है ना रिचार्ज की कोई धनराशि है। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में जो कार्य आंगनवाड़ी द्वारा किए गए , उसके मानदेय का भुगतान भी निर्वाचन कार्यालय द्वारा आज तक नहीं किया गया है।

निर्वाचन के कार्य के अलावा खंड विकास अधिकारी द्वारा वर्तमान में पिछड़ी जाति का सर्वे कराया जा रहा है, लेकिन उसका भी कोई मानदेय निश्चित नहीं किया गया है। पिछले दिनों समाज कल्याण द्वारा विकलांग का सर्वे कराया गया लेकिन उसका भी कोई मानदेय भुगतान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नहीं दिया गया। अन्य विभागों के कार्य करने से आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों का कार्य का बोझ बढ़ गया है।

2. जो आंगनवाड़ी केंद्र किराए के कमरों में चल रहे हैं, उनका भवन का किराया 2020- 021 से वर्तमान तक नहीं आया है। लगभग 2 वर्ष होने वाले हैं, इस समस्या के कारण मकान मालिकों द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को मानसिक तनाव दिया जा रहा है। कई बार दोनों के बीच कहासुनी हो चुकी है। मकान मालिक द्वारा केंद्रों का सामान बाहर फेंकने की धमकी दी जा रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मानसिक रूप से परेशान हैं। भवन किराए पर लेने से पहले भवन स्वामी को एडवांस किराए के रूप में देना पड़ता है। विभाग द्वारा भुगतान नहीं किया जा रहा है।

3. आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मानदेय प्रत्येक माह समय पर दिया जाए और जिस माह का मानदेय दिया जा रहा है, उस माह का नाम बैंक पासबुक में अंकित किया जाय और मोबाइल पर उसकी सूचना S.M.S. के माध्यम से दी जाए।

4. विभाग द्वारा जो फोन आंगनवाडी कार्यकत्रियों को दिए गए थे, वह अधिकांश खराब हो चुके हैं । लेकिन विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को सभी कार्य ऑनलाइन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

5. मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चे अधिक होने के कारण और अकेली कार्यकर्ता होने के कारण कार्य अधिक होता है। मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का सबसे अधिक शोषण हो रहा है, काम ज्यादा और मानदेय कम, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को भी समान कार्य के लिए समान वेतन मानदेय दिया जाए। 300 की जनसंख्या पर मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों का उच्चीकरण किया जाए।

6. वर्तमान में विभाग द्वारा नंदा गौरा योजना चलाई जा रही हैं, लेकिन इस योजना का लाभ आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की बेटियों को नहीं दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने अभी तक इसका शासनादेश लागू नहीं कराया है। जबकि आंगनवाडी कार्यकत्रियों बीपीएल परिवारों से आती हैं और इसका लाभ आंगनवाड़ी की बेटियों को भी मिलना चाहिए।

7. भारत सरकार द्वारा टेक होम राशन योजना चलाई लाभार्थियों के लिए चलाई जा रही है, भारत सरकार द्वारा टेक होम राशन करने और वितरण करने का अधिकार माता समिति को दिया गया है। टेक होम राशन माता समिति द्वारा ही कराया जाए।

8. वर्तमान में टेक होम राशन की धनराशि माता समिति के खातों में उपलब्ध नहीं है, इसलिए किसी भी दशा में उधार टेक होम राशन वितरण का दबाव विभाग ना बनाएं।

9. आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों /सहायिकाओं को नेशनल पेंशन स्कीम से जोड़ा जाए तथा सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कर्मी कल्याण कोष में धनराशि जमा की जाए ताकि रिटायरमेंट में पेंशन का लाभ मिले। प्रत्येक माह सम्मानजनक धनराशि प्रोत्साहन के रूप में दी जा सके।

10. पोषण अभियान के अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से दूध, केला, अंडा गर्भवती धात्री महिला और 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को दिए जाने वाली समस्त सामग्री आंगनवाड़ी केंद्रों तक पहुंचाई जाए या प्रति माह आंगनवाडी कार्यकत्रियों को ढुलान का भुगतान किया जाए। जब से योजना शुरू हुई है तब से आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा स्वयं अपने पैसे खर्च करके सेक्टरों से सामग्री अपने केंद्रों में पहुंचाई जा रही है, जिसमें उनके हर महीने 400 से ₹500 तक ढुलान में खर्च हो रहा है।

11. आंगनवाड़ी कार्यकत्री के पद की भर्ती में, मिनी आंगनवाड़ी /सहायिकाओ की आयु सीमा की बाध्यता को समाप्त करते हुए स्वत ही सहायिकाओ को प्रमोशन का लाभ दिया जाए।

12. दिनांक 6/12 /2021 को बन्नो कॉलेज देहरादून में मुख्यमंत्री जी द्वारा घोषणा की गई थी कि आंगनवाड़ी केंद्रों पर सेनेटरी पैड निशुल्क वितरण किए जाएंगे, लेकिन विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों पर दबाव बनाकर पैसा वसूला जा रहा है। जबकि सेनेटरी पैड निशुल्क के आदेश सरकार द्वारा दिए गए हैं।

13. आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को जो ड्रेस विभाग द्वारा दी गई है वह बहुत ही घटिया किस्म की है ड्रेस की गुणवत्ता सही की जाए या ड्रेस की धनराशि आंगनबाड़ियों के खाते में डाली जाए।

14. पोषण ट्रैकर एप की जगह आईसीडीएस कॉम केयर अपना लाया जाए तथा विभाग द्वारा जो फोन खराब होने के कारण जमा कर दिए गए हैं, उनकी मरम्मत विभाग तुरंत कराकर आंगनबाड़ियों को फोन उपलब्ध कराएं एवं रिचार्ज की धनराशि भी उनके खाते में उपलब्ध कराएं।

ज्ञापन देने वालों में सुशीला खत्री, सुधा शर्मा, मधु पुंडीर, आशा थापा, राखी, भगवती ,संगीता देवी, सविता सजवान शशि उनियाल सुनीता पुंडीर डिंपल रजनी रावत सुचिता पिंकी भट्ट उपस्थित रहे।

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