उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: इन 416 सड़कों पर गाड़ी चलाना है मना, तो बनाई क्यों?

देहरादून: राज्य के कई ऐसे इलाके हैं, जहां आज भी लोगों को सड़कों का इंतजार है। कई सड़कें ऐसी भी हैं, जो बन तो गई हैं, लेकिन आज तक उन पर वाहनों को चलने की अनुमति नहीं मिल पाई है। विभागों की ऐसी सुस्ती सरकार और आम लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है। सुस्ती का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि राज्य की 416 सड़कों को लंबे समय से अनुमति का इंतजार है।

ये है नुकसान, ऐसे मिलती है अनुमति
जिन सड़कों को वाहन संचालन के लिए अनुमति नहीं मिलती, परिवहन विभाग उन पर सुरक्षा इंतजामात नहीं करता है। सड़क किनारे क्रश बैरियर, यातायात सुरक्षा और जागरूकता से जुड़े साइन बोर्ड भी नहीं लगाए जाते हैं। अवैध मार्गों पर हादसा होने पर वाहन मालिक को बीमा क्लेम का लाभ नहीं मिल पाता। दरअसल, सड़कों के प्रस्तावों को मंजूरी देने की एक तय प्रक्रिया है। जिला स्तर पर तीन सदस्यीय टीम सड़क का मुआयना करने के बाद मंजूरी देती है। मानक पूरा न होने पर अनुमति में देरी होती है। रही बात हादसों में प्रभावित को राहत राशि देने की तो उसके लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश है।

ये है जिलों का हाल

पौड़ी
पौड़ी में 778 सड़कें वाहनों के संचालन के लिए स्वीकृत हैं। जबकि 42 सड़क करीब साल भर से लटकी हुई हैं। इनमें 24 सड़कों का एक बार परिवहन महकमे ने संयुक्त निरीक्षण भी कर दिया। इन सड़कों पर पाई गई खामियों को दूर करने के लिए लोनिवि को कहा गया है। धुमाकोट क्षेत्र की मजेंडाबैंड-जडाऊखांद सड़क 20 किलोमीटर लंबी है। पूर्व प्रधान रघुवीर सिंह के मुताबिक किनाथ से जडाऊखांद तक करीब 11 किलोमीटर सड़क स्वीकृत नहीं हो पाई। इस कारण इस सड़क पर बस नहीं चलती और परेशानी होती है।

रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग में 59 सड़कें यात्री और कमर्शियल वाहनों के संचालन के लिए एक से लेकर पांच साल से मंजूरी की राह देख रही हैं। वर्तमान में केवल 63 सड़कें ही वाहनों संचालन को स्वीकृत हैं। एक स्थानीय वाहन चालक बताते हैं कि परिवहन विभाग से अस्वीकृत सड़क पर हादसे में बीमा लाभ नहीं मिल पाता। चालक को मार्ग पर चलने की अनुमति नही होगी। यात्रियों को किसी तरह की दुर्घटना होने पर सरकारी मुआवजा-बीमा राशि नहीं मिल पाएगी। होने पर सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता।

टिहरी
टिहरी में कमर्शियल वाहनों के लिए संचालन के लिए 188 सड़कें मंजूर हैं। 20 महत्वपूर्ण सड़कों के प्रस्ताव पिछले करीब दो साल से लटके हुए हैं। परिवहन अधिकारियों का कहना है कि निर्माण एजेंसियों के स्तर पर सड़कों में कुछ सुधार की गुंजाइश है। निर्माण एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं। लोगों का कहना है कि इन सड़कों को परिवहन विभाग से मंजूरी मिलने पर इन संचालन वैध हो जाएगा। जब तक मंजूरी नहीं मिलती तब तक वाहनों का संचालन काफी मुश्किल भरा है। लोगों को मुश्किलों को सामना करना पड़ता है।

पिथौरागढ़
पिथौरागढ़ में कमर्शियल वाहन, बस, टैक्सी, मैक्सी आदि के संचालन के लिए परिवहन विभाग से 372 सड़क स्वीकृत हैं। जबकि 52 और नए रूट के लिए आवेदन आ चुके हैं। प्रस्ताव पिछले आठ महीने से परिवहन विभाग और निर्माण एजेंसियों के बीच ही अधर में लटके हैं। नतीजा यह है कि लोगों को अपने साधन से बुकिंग कर वाहनों का इंतजाम करना पड़ता है। सुरक्षा के लिहाज से यह ज्यादा ठीक नहीं है। परिवहन विभाग से अस्वीकृत सड़क पर हादसे में वाहन स्वामी, चालक को इंश्योरेंस क्लेम करने में परेशानी होती है।

बागेश्वर
जिले में 149 सड़कें परिवहन विभाग की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। एक से दो साल से इनके प्रस्ताव लटके हुए हैं। टैक्सी चालक बलवंत सुरकाली ने बताया कि बागेश्वर-गिरेछीना मोटर मार्ग में कई जगह दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं। इस मार्ग पर जागरूकता बोर्ड भी नहीं के बराबर लगे हैं। गिरेछीना मोटर मार्ग में कई जगह दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं। इन पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है। स्वीकृत मार्ग न होने से इस पर जागरूकता बोर्ड और यातायात के संकेत देने वाले बोर्ड भी नहीं लगे हैं।

चंपावत
चंपावत में 25 सड़कों को परिवहन विभाग से पिछले छह महीने से मंजूरी नहीं मिली। वर्तमान में जिले में सार्वजनिक यात्री और मालवाहक वाहनों के लिए 87 सड़कें ही स्वीकृत हैं। 109 निर्माणाधीन सड़कों को डामरीकरण की प्रकिया जारी रहने के कारण अभी हरी झंडी नहीं मिली है। डीएम विनीत तोमर बताते हैं कि अस्वीकृत सड़कों पर हादसे होने पर बीमा का लाभ नहीं मिल पाएगा।

नैनीताल
आठ सड़कों के प्रस्ताव अक्तूबर 2021 से लटके हुए हैं। जिले में इस वक्त वाहनों के संचालन के लिए 294 रूट मंजूर हैं। नैनीताल जिले के ग्राम देवीधुरा निवासी संदीप के अनुसार गांव में कच्ची सड़क बन चुकी है, लेकिन परिवहन विभाग से स्वीकृत नहीं हुई है। रोडवेज और बस कंपनियां भी स्वीकृति से पहले बस सेवा शुरू नहीं करती हैं।

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